अंतर्राष्ट्रीय संगठन अपने उद्देश्यों में व्यापक होते हैं। जो अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर विवादों के समाधान तथा शांति व सुरक्षा स्थापित करने में वह विभिन्न देशों के मध्य सौहार्दपूर्ण वातावरण का निर्माण करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
अंतरराष्ट्रीय संगठनों की आवश्यकता:
अंतर्राष्ट्रीय विवादों का शांतिपूर्ण समाधान।
युद्धो की रोकथाम में सहायक होते हैं।
विश्व के आर्थिक विकास में सहायक।
प्राकृतिक आपदा और महामारी से निपटना।
अंतर्राष्ट्रीय सहयोग को बढ़ावा देना।
वैश्विक ताप वृद्धि से निपटना।
प्रथम विश्व युद्ध के बाद युद्ध रोकने के लिए बनी संस्था राष्ट्रसंघ के असफल होने के कारण एवं 1939 से 1945 तक चले द्वितीय विश्व युद्ध के पश्चात अंतर्राष्ट्रीय शांति और सुरक्षा स्थापित करने के लिए पुनः एक अंतर्राष्ट्रीय संगठन की आवश्यकता महसूस की जाने लगी। अतः 24 अक्टूबर 1945 को संयुक्त राष्ट्र संघ UNO की स्थापना की गई। स्थापना के समय संयुक्त राष्ट्र संघ में 51 सदस्य थे, भारत भी इसके संस्थापक देशों में शामिल था। मई 2013 तक इसके सदस्यों की संख्या 193 हो गई है। 193 वां सदस्य दक्षिणी सूडान है।
संयुक्त राष्ट्र संघ:
सुरक्षा परिषद
सचिवालय
महासभा
न्यायसिता परिषद् ( इसका कार्य सन 1994 से समाप्त कर दिया गया)
अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय
आर्थिक एवं सामाजिक परिषद
संयुक्त राष्ट्र संघ के अंग:-
इसका सबसे शक्तिशाली सुरक्षा परिषद है इसके कुल 15 सदस्य हैं। इसमें पांच स्थाई सदस्य (अमेरिका, रूस, ब्रिटेन, फ्रांस और चीन) तथा 10 अस्थाई सदस्य हैं जो 2 वर्षों की अवधि के लिए चुने जाते हैं। स्थाई सदस्यों को वीटो(निषेधाधिकार) की शक्ति प्राप्त है।
शीत युद्ध के बाद से ही संयुक्त राष्ट्र में इसके ढांचे एवं कार्य करने की प्रक्रिया दोनों में सुधार की मांग जोर पकड़ने लगी। सुरक्षा परिषद में स्थाई व अस्थाई सदस्यों की संख्या बढ़ाने पर बल दिया गया। इसके अतिरिक्त गरीबी भुखमरी, बीमारी, आतंकवाद, पर्यावरण मसले एवं मानवाधिकार आदि मुद्दों पर संयुक्त राष्ट्र की भूमिका को और अधिक सक्रिय बनाने पर बल दिया गया।
महासचिव संयुक्त राष्ट्र संघ का प्रतिनिधि होता है वर्तमान महासचिव का नाम एंटीनो गुटेरेस (पुर्तगाल) है।
भारत संयुक्त राष्ट्र संघ के कार्यक्रमों में अपना योगदान लगातार देता रहा है। चाहे वह शांति सुरक्षा का विषय हो, निशस्त्रीकरण हो, दक्षिण कोरिया संकट हो, स्वेज नहर का मामला हो, या इराक का कुवैत पर आक्रमण हो, इसके अतिरिक्त मानव अधिकारों की रक्षा उपनिवेशवाद व रंगभेद का विरोध तथा शैक्षणिक, आर्थिक तथा सांस्कृतिक गतिविधियों में भी भारत की भूमिका बनी रहती है।
संयुक्त राष्ट्र संघ की सुरक्षा परिषद की स्थाई सदस्यता के लिए भारत का पक्ष:
आबादी के दृष्टिकोण से बड़ा राष्ट्र।
स्थिर लोकतंत्र व मानव अधिकारों के प्रति निष्ठा।
उभरती हुई आर्थिक ताकत।
संयुक्त राष्ट्र संघ के बजट में लगातार योगदान।
शांति बहाली में भारत का योगदान।
संयुक्त राष्ट्र संघ की प्रमुख ऐजेंसियां:-
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO)
संयुक्त राष्ट्र, शैक्षिक, सामाजिक एवं सांस्कृतिक संगठन (UNESCO)
संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (UNICEF)
संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (UNDP)
संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार आयोग (UNHRC)
संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी उच्चायोग (UNHCR)
संयुक्त राष्ट्र व्यापार एवं विकास सम्मेलन (UNCTAD)
संयुक्त राष्ट्र संघ के उद्देश्य एवं सिद्धांत:-
अंतर्राष्ट्रीय शांति और सुरक्षा को बनाए रखना।
राष्ट्रों के बीच मैत्रीपूर्ण संबंधों को बढ़ाना।
आपसी सहयोग द्वारा आर्थिक, सामाजिक, सांस्कृतिक तथा मानवीय ढगं की अंतर्राष्ट्रीय समस्याओं को हल करना।
अंतर्राष्ट्रीय संधियों एवं अंतर्राष्ट्रीय कानूनों को सम्मान पूर्वक लागू करवाना।
राष्ट्रों की प्रादेशिक अखंडता और राजनीतिक स्वतंत्रता का आदर करना।
संयुक्त राष्ट्र संघ को एक धुर्वीय विश्व में अधिक प्रासंगिक बनाने के उपाय:-
शांति संस्थापक आयोग का गठन।
मानवाधिकार परिषद की स्थापना।
सहस्त्राब्दी विकास लक्ष्य को प्राप्त करने पर सहमति।
एक लोकतंत्र कोष का गठन।
आतंकवाद के सभी रूपों की भत्सर्ना।
न्यासिता परिषद की समाप्ति।
आज एक ध्रुवीय विश्व व्यवस्था में जब अमेरिका का वर्चस्व पूरे विश्व पर हो चुका है तो ऐसे में संयुक्त राष्ट्र संघ भी अमेरिकी ताकत पर पूर्ण रुप से अंकुश नहीं लगा सकता है, क्योंकि अमेरिका का बजट में योगदान अधिक है, इसके अतिरिक्त इसका मुख्यालय भी अमेरिकी भू-क्षेत्र पर स्थित है। परंतु इसके बावजूद संयुक्त राष्ट्र संघ वो मंच है जहां अमेरिका से शेष विश्व के देश वार्ता करके उस पर नियंत्रण रखने का प्रयास कर सकते हैं।
अंतर्राष्ट्रीय संस्थाएं व गैर सरकारी संगठन:-
संयुक्त राष्ट्र संघ के अतिरिक्त अंतर्राष्ट्रीय संस्थाएं एवं गैर सरकारी संगठन है जो निरंतर अपने उद्देश्यों को पूर्ण करने में लगे हैं जैसे-
अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष: वैश्विक स्तर पर वित्त व्यवस्था की देख-रेख एवं वित्तीय तथा तकनीकी साधन मुहैया कराना।
विश्व बैंक:- मानवीय विकास, कृषि, ग्रामीण विकास, पर्यावरण सुरक्षा, आधारभूत ढांचा तथा सुशासन के लिए काम करता है।
विश्व व्यापार संगठन:- यह अंतर्राष्ट्रीय संगठन वैश्विक व्यापार के नियमों को तय करता है।
अंतर्राष्ट्रीय आणविक ऊर्जा एजेंसी:- यह संगठन परमाण्विक ऊर्जा के शांतिपूर्ण उपयोग को बढ़ावा देने और सैन्य उद्देश्यों में इसके इस्तेमाल को रोकने की कोशिश करता है।
एमनेस्टी इंटरनेशनल:- यह एक स्वयंसेवी संगठन है। यह पूरे विश्व में मानव अधिकारों की रक्षा के लिए अभियान चलाता है।
ह्यूमन राइट्स वॉच:- यह एक स्वयंसेवी संगठन भी मानव अधिकार की वकालत और उनसे संबंधित अनुसंधान करने वाला एक अंतर्राष्ट्रीय स्वयंसेवी संगठन है।
अंतरराष्ट्रीय रेड क्रॉस सोसाइटी:- यह सोसाइटी युद्ध और आंतरिक हिंसा के सभी पीड़ितों की सहायता तथा सशस्त्र हिंसा पर रोक लगाने वाले नियमों को लागू करने का प्रयास करता है।
ग्रीन पीस:- 1971 के स्थापित ग्रीन पीस फाउंडेशन विश्व समुदाय को पर्यावरण के प्रति संवेदनशील बनाने तथा पर्यावरण संरक्षण हेतु कानून बनाने के लिए दबाव डालने का कार्य करती है।
*हालांकि संयुक्त राष्ट्र संघ में थोड़ी कमी अवश्य है, लेकिन इसके बिना दुनिया और बदहाल होगी। संयुक्त राष्ट्र संघ एवं उपरोक्त वर्णित सभी आर्थिक संस्थाओं एवं गैर सरकारी संगठनों ने परास्परिक निर्भरता को बढ़ाया है। जिससे की संस्थाओं के उत्तरदायित्वता भी बढ़ती जा रही है। किसलिए आने वाली सरकारों को संयुक्त राष्ट्र एंव इन अंतरराष्ट्रीय संगठनों के समर्थन एवं उपयोग के तरीके तलाशने होंगे।
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